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Chapter 5 - अध्याय 5: पहली बार अकेले

अध्याय 5: पहलीबारअकेले

कॉलेज की रूटीन वैसे तो रोज़ की तरह थी, लेकिन आज का दिन थोड़ा अलग था। आकाश और बिट्टू की दोस्ती अब उस मुकाम पर थी जहाँ वे एक-दूसरे की मौजूदगी को खास महसूस करने लगे थे। दोनों की हंसी-मजाक, छोटी-छोटी बहसें और साथ बिताए गए पल अब धीरे-धीरे उनके दिल के करीब आने लगे थे।

उस दिन क्लास खत्म होते ही अचानक से तेज बारिश शुरू हो गई। क्लासरूम की खिड़की से गिरती बूँदों को देख बिट्टू मुस्कुरा दी। उसे बारिश बहुत पसंद थी।

आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें बारिश इतनी पसंद क्यों है? हर बार जब बारिश होती है, तुम्हारा चेहरा ऐसे खिल उठता है जैसे किसी बच्चे को उसकी मनपसंद टॉफी मिल गई हो।"

बिट्टू ने उसकी तरफ देखा और हल्के से हँसते हुए बोली, "पता नहीं, लेकिन बारिश में एक अजीब सी सुकून देने वाली फीलिंग होती है। जैसे कोई पुरानी याद फिर से ताजा हो रही हो।"

तभी अचानक बिजली चमकी और तेज़ गरज के साथ बारिश और भी तेज़ हो गई। ज्यादातर स्टूडेंट्स अपने घर जाने के लिए दौड़ पड़े, लेकिन बिट्टू ने अपनी सीट नहीं छोड़ी।

आकाश ने उसे देखते हुए पूछा, "अरे, तुम नहीं जा रही?"

बिट्टू ने सिर हिलाया, "छतरी नहीं है, और इतनी बारिश में घर जाना मुश्किल होगा।"

आकाश ने अपने बैग से एक छाता निकाला और मुस्कुराते हुए कहा, "चलो, मैं छोड़ देता हूँ।"

बिट्टू ने पहले इंकार किया, लेकिन फिर जब बारिश कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी, तो उसने हामी भर दी।

अकेलेमेंपहलीमुलाकातकाएहसास

कॉलेज से बाहर निकलते ही तेज़ हवा और बारिश के मेल से एक अलग ही माहौल बन गया था। छाता छोटा था, और दोनों को उसके नीचे आने के लिए कंधे सटाकर चलना पड़ रहा था।

पहली बार, दोनों इतने करीब थे।

बिट्टू थोड़ी असहज थी, लेकिन आकाश के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसे बिट्टू की नज़दीकी अच्छी लग रही थी। बारिश की बूँदें जब बिट्टू के गालों पर गिर रही थीं, तो आकाश उसे चुपचाप देखता रहा।

कुछ देर बाद बिट्टू ने उसे टोका, "क्या देख रहे हो?"

आकाश ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "कुछ नहीं, बस सोच रहा था कि तुम्हें बारिश सच में बहुत पसंद है।"

बिट्टू ने सिर झुका लिया, शायद शर्माते हुए।

एकछोटासाएहसास

रास्ते में एक सुनसान गली आई, जहाँ कोई और नहीं था। सिर्फ वही दो थे—पहली बार अकेले।

बारिश अब हल्की हो चुकी थी, लेकिन सड़कें अब भी गीली थीं। चलते-चलते बिट्टू का पैर फिसल गया और वह गिरने ही वाली थी कि आकाश ने उसे कसकर पकड़ लिया।

कुछ पलों के लिए दोनों एक-दूसरे की बाहों में थे।

बिट्टू ने धीरे से कहा, "शुक्रिया..." और आकाश ने उसकी आँखों में झाँकते हुए मुस्कुरा दिया।

उन दोनों की धड़कनें तेज़ थीं, लेकिन दोनों चुप थे। शायद शब्दों की जरूरत ही नहीं थी।

थोड़ी देर बाद, जब दोनों आगे बढ़े, तो आकाश ने मज़ाक में कहा, "अगली बार बारिश में चलना हो, तो कम से कम अच्छे जूते पहन लेना।"

बिट्टू हँस पड़ी, और वही हँसी फिर से आकाश के दिल को छू गई।

यह पहली बार था जब वे अकेले थे, और शायद पहली बार था जब उन्होंने एक-दूसरे को इतने करीब से महसूस किया था।

बारिश की बूँदें गिर रही थीं, लेकिन अब उनका असर कम था—क्योंकि दिल में कुछ और चल रहा था, जो शब्दों में कहना मुश्किल था।

बढ़तीनज़दीकियाँ

आकाश ने जब बिट्टू को उसके घर तक पहुँचाया, तो दरवाजे पर रुककर उसने हल्के से कहा, "आज का दिन याद रहेगा।"

बिट्टू ने हल्के से सिर हिलाया, "हाँ, सच में।"

फिर उसने धीरे से कहा, "शायद बारिश सच में कुछ पुरानी यादों को ताजा कर देती है, लेकिन आज इसने एक नई याद भी बना दी।"

आकाश ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "फिर अगली बारिश में मिलते हैं?"

बिट्टू ने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुस्कुराई और अंदर चली गई।

आकाश ने छतरी बंद की और बारिश की बूँदों को महसूस करने लगा। शायद यह पहली बार था जब बारिश में भीगने का एहसास इतना खास लगा था।

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